गंजबासौदा :- उदयपुर क्षेत्र में अवैध पत्थर खदानों पर उत्खनन कर रहे पत्थर माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि अवैध उत्खनन रोकने गए वन कर्मियों की कार्रवाई में बाधक बन कर उत्खनन कर्ता खड़े हो गए और वन कर्मियों के साथ अभद्र व्यवहार किया गाली गलौज करें साथ ही सूत्रों की माने तो अवैध उत्खनन कर्ताओं ने वन कर्मियों के साथ मारपीट भी की गुरुवार की शाम को हुई घटना के बाद क्षेत्र के रेंजर आलेख सक्सेना एक लिखित आवेदन देहात थाने में दिया था जिसके बाद देहात पुलिस में सरकारी कार्य में बाधक बनने की धारा 353 सहित अन्य धाराओं में प्रकरण भी दर्ज किया था लेकिन इस घटना को बीते पूरा 1 सप्ताह हो गया है लेकिन आज दिनांक तक पुलिस आरोपियों तक नहीं पहुंच पाई है और ना ही पुलिस आरोपियों का कोई सुराग लगा पाई है हालांकि सूत्रों की माने तो आरोपियों की खोजबीन में पुलिस जगह-जगह दबिश दे रही है और सूत्रों के अनुसार पुलिस आरोपियों की घरवालों से भी पूछताछ में जुटी हुई है लेकिन वास्तविकता में खबर लिखे जाने तक पुलिस आरोपियों से कोसों दूर है जबकि आरोपी अपनी अग्रिम जमानत के लिए प्रयासरत हैं |
प्रति माह कटता है करोड़ों का अबैध पत्थर:-
उदयपुर घटेरा क्षेत्र में वन विभाग की भूमि पर अवैध रूप से पत्थर का व्यापार आपसी तालमेल से खूब फल फूल रहा है और सरकार को लाखों रुपए प्रतिमाह के राजस्व का चूना भी लग रहा है वैसे तो यह जमीन वन विभाग की भूमि है और यहां वन कर्मियों एवं वन्य जीव जंतुओं के अलावा सभी का प्रवेश निषेध है और यह प्रतिबंधित क्षेत्र है लेकिन यह गांधी युग है और सब काम बहुत सुगमता से आपसी तालमेल से संपन्न हो जाते हैं इसलिए इस क्षेत्र में अवैध रूप से पत्थर की कटाई का कारोबार किया जाता है और यह व्यापार की कल्पना अगर की जाए तो प्रतिमाह करोड़ों रुपए का अवैध पत्थर प्रशासन के तालमेल से चोरी किया जाता है और ताज्जुब की बात यह है कि वन विभाग इन पत्थर चोरी करने वाले पत्थर माफियाओं के विरुद्ध चोरी का प्रकरण पंजीबद्ध करने मैं संकोच करती है |
छोटी मोटी कार्यवाही से अपनी पीठ थपथपा रहा वन विभाग:-
पत्थर माफियाओं द्वारा वन विभाग के अमले की कार्यवाही को रोकने के प्रयास ओर ट्रैक्टर ट्राली जबरन ले जाने के बाद हुए विवाद के बाद पूरे क्षेत्र में वन विभाग की जो किरकिरी हो रही है उसे बैलेंस करने के लिए वन विभाग अब अवैध उत्खनन कर्ताओं पर छुटपुट छोटी मोटी कार्यवाही कर कर खुद अपनी स्वयं की पीठ थपथपा रहा है जबकि यह संपूर्ण कारोबार वन विभाग की सहमति और कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की शह पर संचालित होता है लेकिन अब इतनी बड़ी कार्यवाही के बाद क्या अब प्रशासन वन क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त करा पाएगा या फिर कुछ दिनों के ब्रेक के बाद पुनः पूर्व की तरह अवैध कारोबार संचालित होने लगेंगे यह प्रश्न अभी प्रश्न ही मात्र बना हुआ है |
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