महिला बाल विकास विभाग में कब तक होगी काम की टेबल समीक्षा? अधिकारी कब करेंगे मैदान में जाकर काम की समीक्षा? **** कुपोषण का शिकार महिला बाल विकास...?



राज्य की नवदुनिया प्रतिनिधि
       गंजबासौदा..

 मीडिया में आये दिन पढ़ने को मिल जाता है कि महिला बाल विकास विभाग की समीक्षा बैठक कलेक्टर की अध्यक्षता में संपन्न हुई। टेबल पर बैठकर समीक्षा तो महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी हमेशा करते हैं, लेकिन मैदान से इनका ज्यादा नाता नहीं रहा है, क्योंकि इन अधिकारियों के द्वारा कागजों के पेट भरकर अपने कर्तव्य से इतिश्री कर ली जाती है। अफसोस तो इस बात का है कि महिला बाल विकास विभाग में सब ऊंट पर से बकरी हांकने का काम कर रहे हैं, और अधिकारी सुपरवाइजरों को संरक्षण देते हैं,सुपरवाइजर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को संरक्षण देते हैं और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता,सहायिकाओं को दौड़ लगवाती हैं। ऊंट पर से बकरी हांकने की प्रवृत्ति के कारण जनहितैषी योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। महिला बाल विकास विभाग के माध्यम से चलने वाली शासन की योजनाओं से हितग्राही लाभान्वित हो रहे हैं या नहीं? यह देखने वाला कोई नहीं है। आंगनवाड़ियों के माध्यम से जच्चा-बच्चा तक पहुंचने वाली सामग्रियां उन तक पहुंच भी रही है या नहीं? यह देखने वाला कोई नहीं है। आम जनता के घरों तक पहुंचने वाली आंगनवाड़ियों की सहायिकायें होती है,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तक जनता के घर नहीं पहुंचती तो विभाग के किसी अधिकारी के पहुंचने के बारे में तो कल्पना ही नहीं की जा सकती। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भी अपने आपको अफसर से कम नहीं समझती। आंगनवाड़ी से बच्चों के लिये कागज की पुड़िया में बांधकर दुग्ध पाउडर भेजा जाता है। यह कितनी बड़ी लापरवाही है, क्या महिला बाल विकास विभाग द्वारा बच्चों को कागज की पुड़िया  में दुग्ध पाउडर दे कर अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है? ये महज एक उदाहरण है,ऐसी अनगिनत अनियमितताओं का अम्बार लगा है महिला बाल विकास विभाग के कामकाजों में। यह सब इसलिये हो रहा है कि महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी टेबल पर बैठकर काम की समीक्षा कर लेते हैं,अपने हाथ से अपनी पीठ ठोंक लेते हैं और जिले में बैठे हुऐ साहब कागजों का भरा पेट देखकर शाबाशी दे देते हैं। यदि महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी समय-समय पर जनता के बीच जाकर आंगनवाड़ियों के कामकाजों की समीक्षा करें तो उन्हें सुधार की गुंजाइशें नजर आयेंगी, और विभागीय कमजोरियों का पता चलेगा। महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी ज्यादातर मौकों पर टेबल पर बैठकर काम-काज की समीक्षा कर लेते हैं और जनहितैषी योजनाओं का क्रियान्वयन हवा-हवाई हो जाता है। जनभावना को अभिव्यक्त किया जाये तो वह यह कि महिला बाल विकास विभाग अपनी कार्यप्रणाली में बदलाव लाये,जिन विभागीय कामकाजों की समीक्षा वह टेबल पर बैठकर करता है, उन कामकाजों की समीक्षा  मैदान में जाकर,कर पायेगा महिला बाल विकास विभाग?

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