बीमार अस्पताल के आखिर क्यों यो नही सुधर रहे हालात, अस्पताल के हाल-बेहाल,चारों तरफ लगा अवस्थाओं का अंबार।



अस्पताल में 70 वार्डब्यॉय, 20 से ज्यादा स्ट्रेचर ,फिर भी मरीजों और लाशों को हाथों पर ढो रहे उनके परिजन।
राज्य की नवदुनिया प्रतिनिधि
छतरपुर//
जिले सहित आसपास के जिलों के सैकड़ों मरीज प्रतिदिन जिला अस्पताल में अच्छे इलाज और सुविधाओं की उम्मीद के साथ पहुंचते हैं लेकिन यहां आकर उन्हें अव्यवस्थाओं और संवेदनहीनता की स्याह सच्चाई से रूबरू होना पड़ता है। बीते रोज ग्राम सेवड़ी के दो बच्चों की मौत सर्पदंश से हुई थी। एक बच्चे की लाश को पीएम हाउस तक ले जाते हुऐ  एक पिता की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई जिसके बाद सवाल उठा कि आखिर परिजनों को अस्पताल में बगैर स्ट्रेचर और वार्डब्यॉय की मदद के स्वयं ही इस तरह के काम क्यों करने पड़ते हैं। इसी मुद्दे पर जब जिला अस्पताल की हकीकत जानी गई तो यहां के आंकड़े चौंकाने वाले मिले। अस्पताल में स्टाफ और संसाधनों की नहीं बल्कि संवेदनाओं और जिम्मेदारियों की कमी है।

हर वार्ड में साधन उपलब्ध पर क्यों नही  मिलती सुविधाय।

जिला अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक लोगों की सहूलियत और मरीजों की सुविधा के लिए जिला अस्पताल में कुल 70 वार्डब्यॉय नियुक्त हैं। इनमें नियमित, आउटसोर्स और रेडक्रॉस संस्था के माध्यम से वार्डब्यॉय शामिल हैं। अस्पताल की इमरजेंसी, आईसीयू, चाइल्ड केयर यूनिट, प्रसूता वार्ड, ट्रोमा वार्ड में चार-चार वार्डब्यॉय एवं तीन-तीन स्ट्रेचर कागजी तौर पर दर्ज हैं। टीबी यूनिट में भी एक वार्डब्यॉय की तैनाती है। अस्पताल की हर यूनिट में स्ट्रेचर और वार्डब्यॉय की कमी नहीं है फिर भी जब मरीज यहां पहुंचते हैं तो उन्हें खुद ही अपनी व्यवस्था करनी पड़ती है। शनिवार को लवकुशनगर से आए गुलजारी पाल भी अपनी गर्भवती पत्नि को खुद ही स्ट्रेचर पर लेकर वार्ड तक ले जाते दिखे। मरीज के परिजनों का कहना है कि यहां आने पर न तो स्ट्रेचर मिलते हैं और न ही कोई वार्डब्यॉय मरीज की मदद करता है।
 
क्या कहना है संबंधित अधिकारियों का -

जिला अस्पताल में स्ट्रेचर और वार्डब्यॉय की कमी नहीं है फिर भी मरीजों को क्यों परेशान होना पड़ रहा है। इसकी जांच कराएंगे। जो लोग लापरवाही कर रहे हैं उनके विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी।
डॉ. विजय पथौरिया, सीएमएचओ, छतरपुर

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