********* युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में, जनप्रतिनिधि बेबस और लाचार ********* *चरस गांजा हेरोइन ब्राउन शुगर, इंजेक्शन के नगर में कारोबार के खिलाफ बुलंद हो रही है आवाज ********* सुरेंद्र पस्तोर, *गंज बासौदा // नगर में जिस तरह से नशे का कारोबार फल फूल रहा है,वह बेहद चिंता का विषय है। लेकिन नशे के बढ़ते हुऐ करोबार को देखकर भी प्रशासन और जनप्रतिनिधि मूकदर्शक बने हुऐ हैं, और पुलिस की कार्यवाही भी कोई खास नहीं हो कर सिर्फ छोटे-मोटे लोगों पर ही अभी तक कार्य वाही कर पायी है, नशे का कारोबार करने बाले लोग प्रभाव शालीयों का संरक्षण प्राप्त होने की वजह से पुलिस की कार्यवाही से बचे हुऐ है, नगर के चौक चौराहों पर हो रही चर्चा अब आम बात है, लेकिन किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता फर्क उन लोगों के लिऐ पड़ रहा है जिन घर का सदस्य नशे की गिरफ्त में हैं।हालात देखकर ऐसा लगता है कि शायद वह दिन अब दूर नहीं है बासौदा को उड़ता बासौदा बनाने में क्योंकि जन प्रतिनिधि एक्शन में होने की जगह हाथ पर हाथ धरे हुऐ बैठे हैं, प्रशासन कार्य वाही कर ने में लाचार और बेबस नजर आता है। इस लिऐ कि प्रशासन केवल छोटे नशेड़ियों पर हाथ डालता है बड़े नशेड़ियों को संरक्षण प्राप्त है सत्ताधारियों का उनका तो गुलाम है प्रशासन।हिम्मत चाहिये लिखने के लिये।नगर में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो खुद नशा करते हैं पर मंचों पर नशे के खिलाफ भाषण देते हैं फिर कैसे रुकेगा नशा... ? इनका कहना है प्रशासन केवल छोटे नशेड़ियों पर हाथ डालता है बड़े नशेड़ियों को संरक्षण प्राप्त है सत्ताधारियों का उनका तो गुलाम है प्रशासन।हिम्मत चाहिये लिखने के लिये।नगर में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो खुद नशा करते हैं पर मंचों पर नशे के खिलाफ भाषण देते हैं फिर कैसे रुकेगा नशा...? नशे के खिलाफ प्रशासन को व नगर के जागरूक नागरिकों को आगे आना चाहिये।
शैलेन्द्र सक्सेना (सामाजिक कार्यकर्ता) *********नगर में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो खुद नशा करते हैं और नशे के खिलाफ सार्वजनिक मंचों से भाषण देते हैं, प्रशासनिक कार्यवाही केवल छोटे-मोटे नशेड़ियों ऊपर हो कर रह जाती है। संरक्षण प्राप्त न नशेड़ियों पर प्रशासन हाथ नहीं डालता, कहीं बासौदा उड़ता बासौदा ना बन जाये सत्ता के दबाव और प्रभाव के चलते। *सिबानी पस्तोर (सामाजिक कार्यकर्ता) ********* शहर में कुछ दिनों से गली मोहल्लों में नशे का कारोबार ब्राउन शुगर शराब गांजा का कारोबार तेजी से फैला है लेकिन पुलिस अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। *पं मुकेश चतुर्वेदी(पत्रकार) ********** राजनेताओं अधिकारियों को खबर न हो यह संभव नहीं है । परन्तु नशा विरोधी आंदोलन साल में हफ्ते दस दिन चलाकर क्या हो सकता है । यह सतत् चलने वाला अभियान होना चाहिए । मध्यप्रदेश में पूर्णतः शराब बंदी होना चाहिए । अन्य चल रहे मादक पदार्थों के विक्रय करने वालों को आजीवन कारावास की सजा हो ताकि जेल में रहकर युवा पीढ़ी को बर्बाद करने का अहसास उन्हें हर पल होता रहे ।
परिवार को भी अपनी दैनिक दिनचर्या में से समय निकाल कर बच्चों पर ध्यान देना चाहिए । आने वाला कल संस्कार भरा हो न कि जीवन कलंक तिलक लगाकर संघर्ष भरा हो ।
माधव शर्मा
केन्द्रीय उपाध्यक्ष
जन जागरूकता विकास समिति ********* दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि नाबालिग बच्चे भी नशे की गिरफ्त में हैं। जो नशे के कारण अपना बचपन तवाह कर रहे हैं। निराशा कुंठा,परिवारों में अलगाव बच्चों में नशे की प्रवृत्ति की तरफ बढ़ावा देता है। प्रशासन को ऐसे परिवारों के बच्चों को चिन्हित कर उनकी काउंसिलिंग करनी चाहिये।- *डॉक्टर मुक्ता सक्सेना
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शुभकामनाएं
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